Jesus saith unto him, I am the way, the truth, and the life: no man cometh unto the Father, but by me.John14:6
Sunday, December 5, 2010
Friday, December 3, 2010
Monday, November 29, 2010
pandit dharm prakesh sharma
मोक्षद्वार
कहते हैं कि महाभारत धर्म युद्ध के बाद राजसूर्य यज्ञ सम्पन्न करके पांचों पांडव भाई महानिर्वाण प्राप्त करने को अपनी जीवन यात्रा पूरी करते हुए मोक्ष के लिये हरिद्वार तीर्थ आये। गंगा जी के तट पर ‘हर की पैड़ी‘ के ब्रह्राकुण्ड मे स्नान के पश्चात् वे पर्वतराज हिमालय की सुरम्य कन्दराओं में चढ़ गये ताकि मानव जीवन की एकमात्र चिरप्रतीक्षित अभिलाषा पूरी हो और उन्हे किसी प्रकार मोक्ष मिल जाये।
हरिद्वार तीर्थ के ब्रह्राकुण्ड पर मोक्ष-प्राप्ती का स्नान वीर पांडवों का अनन्त जीवन के कैवल्य मार्ग तक पहुंचा पाया अथवा नहीं इसके भेद तो मुक्तीदाता परमेश्वर ही जानता है-तो भी श्रीमद् भागवत का यह कथन चेतावनी सहित कितना सत्य कहता है; ‘‘मानुषं लोकं मुक्तीद्वारम्‘‘ अर्थात यही मनुष्य योनी हमारे मोक्ष का द्वार है।
मोक्षः कितना आवष्यक, कैसा दुर्लभ !
मोक्ष की वास्तविक प्राप्ती, मानव जीवन की सबसे बड़ी समस्या तथा एकमात्र आवश्यकता है। विवके चूड़ामणि में इस विषय पर प्रकाष डालते हुए कहा गया है कि,‘‘सर्वजीवों में मानव जन्म दुर्लभ है, उस पर भी पुरुष का जन्म। ब्राम्हाण योनी का जन्म तो दुश्प्राय है तथा इसमें दुर्लभ उसका जो वैदिक धर्म में संलग्न हो। इन सबसे भी दुर्लभ वह जन्म है जिसको ब्रम्हा परमंेश्वर तथा पाप तथा तमोगुण के भेद पहिचान कर मोक्ष-प्राप्ती का मार्ग मिल गया हो।’’ मोक्ष-प्राप्ती की दुर्लभता के विषय मे एक बड़ी रोचक कथा है। कोई एक जन मुक्ती का सहज मार्ग खोजते हुए आदि शंकराचार्य के पास गया। गुरु ने कहा ‘‘जिसे मोक्ष के लिये परमेश्वर मे एकत्व प्राप्त करना है; वह निश्चय ही एक ऐसे मनुष्य के समान धीरजवन्त हो जो महासमुद्र तट पर बैठकर भूमी में एक गड्ढ़ा खोदे। फिर कुशा के एक तिनके द्वारा समुद्र के जल की बंूदों को उठा कर अपने खोदे हुए गड्ढे मे टपकाता रहे। शनैः शनैः जब वह मनुष्य सागर की सम्पूर्ण जलराषी इस भांति उस गड्ढे में भर लेगा, तभी उसे मोक्ष मिल जायेगा।’’
मोक्ष की खोज यात्रा और प्राप्ती
आर्य ऋषियों-सन्तों-तपस्वियों की सारी पीढ़ियां मोक्ष की खोजी बनी रहीं। वेदों से आरम्भ करके वे उपनिषदों तथा अरण्यकों से होते हुऐ पुराणों और सगुण-निर्गुण भक्ती-मार्ग तक मोक्ष-प्राप्ती की निश्चल और सच्ची आत्मिक प्यास को लिये बढ़ते रहे। क्या कहीं वास्तविक मोक्ष की सुलभता दृष्टिगोचर होती है ? पाप-बन्ध मे जकड़ी मानवता से सनातन परमेश्वर का साक्षात्कार जैसे आंख-मिचौली कर रहा है;
खोजयात्रा निरन्तर चल रही। लेकिन कब तक ? कब तक ?......... ?
ऐसी तिमिरग्रस्त स्थिति में भी युगान्तर पूर्व विस्तीर्ण आकाष के पूर्वीय क्षितिज पर एक रजत रेखा का दर्शन होता है। विष्व इतिहास साक्षी देता है कि लगभग दो हजार वर्ष पूर्व, ऐसे समय जब कि सभी प्रमुख धार्मिक दर्षन अपने षिखर पर पहंुच चुके थे, यूनानी, सांख्य वेदान्त योग, यहूदी, जैन, बौद्ध, फारसी तथा अन्य सभी दर्शन और उनका सूर्य ढलने भी लगा था, मानवता आत्मिक क्षितिज पर बुझी जा रही थी, तब परमेश्वर पिता ने स्वंय को प्रभु यीशू ख्रीष्ट में देहधारी करके ‘पूर्णावतार’ लिया। वह इस लिये प्रकट हुआ ताकि मानव जाति के कर्मदण्ड तथा मृत्युबन्ध को उठा कर क्रूस की यज्ञस्थली पर अपने बलिदान के द्वारा स्वंय भोग ले। उसने ऋग्वेद के ‘त्राता’ तथा ‘पितृतमः पितृगा’-सारे पिताओं से भी श्रेष्ठ त्राणदाता परमपिता के सम्बोधन को स्वंयं मानव देह मे अवतरण लेकर हमारे लिये नियुक्त पापजन्य मृत्यू को सहते हुए पूरा किया।
मोक्षदाता प्रभु यीशू ख््राीष्टः निष्कलंक पूर्णावतार:-
हमारे भारत देष आर्यावृत का जन-जन और कण-कण अपने सृजनहार जीवित परमेश्वर का भूखा
-प्यासा है। वैदिक प्रार्थनायें तथा उपनिषदों की ऋचाएं उसी पुरषोत्तम पतित-पावन को पुकारती रही है। पृथ्वी पर छाये संकटो को मिटाने हेतु बहुतेरे महापुरुष, भविष्यद्वक्ता, सन्त-महन्त या राजा-महाराजा जन्मे लेकिन पाप के अमिट मृत्यूदंश से छुटकारा दिलाकर पूरा पूरा उद्धार देने वाले निष्कलंक पूर्णावतार प्रेमी परमेश्वर की इस धरती के हर कोने में प्रतीक्षा थी।
तब अन्धकार मे डूबी एक रात के आंचल से भोर का सितारा उदय हुआ। स्वयं अनादि और अनन्त परमेश्वर ने प्रथम और अन्तिम बार पाप मे जकड़ी असहाय मानवता के प्रति प्रेम में विवश होकर पूर्णावतार लिया, जिसकी प्रतीक्षा प्रकृति एंव प्राणीमात्र को थी। वैदिक ग्रन्थों का उपास्य ‘वाग् वै ब्रम्हा’ अर्थात् वचन ही परमेश्वर है (बृहदोरण्यक उपनिषद् 1:3,29, 4:1,2 ), ‘शब्दाक्षरं परमब्रम्हा’ अर्थात् शब्द ही अविनाशी परमब्रम्हा है (ब्रम्हाबिन्दु उपनिषद 16), समस्त ब्रम्हांड की रचना करने तथा संचालित करने वाला परमप्रधान नायक (ऋगवेद 10:125)पापग्रस्त मानव मात्र को त्राण देने निष्पाप देह मे धरा पर आ गया।
ईशमूर्तिः ईश पुत्र यीशु ख्रीष्ट:-
प्रमुख हिन्दू पुराणों में से एक संस्कृत-लिखित भविष्यपुराण (सम्भावित रचनाकाल 7वीं शाताब्दी ईस्वी)के प्रतिसर्ग पर्व, भरत खंड में इस निश्कलंक देहधारी का स्पष्ट दर्शन वर्णित है, जिसका संक्षिप्तिकरण इस प्रकार है:-
ईशमूर्तिह्न ‘दि प्राप्ता नित्यषुद्धा शिवकारी।
ईशा मसीह इतिच मम नाम प्रतिष्ठतम्।। 31 पद
अर्थात ‘जिस परमेश्वर का दर्शन सनातन,पवित्र, कल्याणकारी एवं मोक्षदायी है, जो ह्रदय मे निवास करता है, उसी का नाम ईसामसीह अर्थात् अभिषिक्त मुक्तीदाता प्रतिष्ठित किया गया।’
पुराण ने इस उद्धारकर्ता पूर्णावतार का वर्णन करते हुए उसे ‘पुरुश शुभम्’ (निश्पाप एवं परम पवित्र पुरुष )बलवान राजा गौरांग श्वेतवस्त्रम’(प्रभुता से युक्त राजा, निर्मल देहवाला, श्वेत परिधान धारण किये हुए )
ईश पुत्र (परमेश्वर का पुत्र ), ‘कुमारी गर्भ सम्भवम्’ (कुमारी के गर्भ से जन्मा )और ‘सत्यव्रत परायणम्’ (सत्य-मार्ग का प्रतिपालक ) बताया है।
मुक्तीदाता प्रभु यीशू खीष्ट के देहधारी परमेश्वरत्व की उद्घोषणा केवल भारत के आर्यग्रन्थ ही नही करते ! अतिप्राचीन यहूदी ग्रन्थ ‘पुराना नियम’ प्रभु खीष्ट के देहधारण से 700 वर्ष पूर्व साक्षी देता है-‘जिसमे कोई पाप नहीं था’ (यशायाह 53:9),‘जो कुमारी से जन्मेगा तथा उसका नाम इम्मानुएल अर्थात् ‘परमेश्वर हमारे साथ में रखा जायेगा (यषायाह 7:14)।
इस्लाम भी अपने प्रमुख ग्रन्थ ‘कुरान शरीफ’ के सूरा-ए-मरियम खण्ड में प्रभू यीशू खीष्ट को ‘रुह अल्लाह‘ (आत्मरुप परमेश्वर का देहधारण)तथा उसकी कुमारी माता मरियम को मनुष्यों के बीच सब नारियों मे परम पवित्र घोषित करतें हैं।
क्या शाश्वत और अद्वैत परमेश्वर देहधारी हुआ, उसके प्रकट प्रमाण और चिन्ह क्या होंगें, शास्त्र उसे पहिचान की कुछ विशेषतायें इस प्रकार बताते हैं:-
स्नातन शब्द-ब्रम्हा तथा सृष्टीकर्ता, सर्वज्ञ, निष्पापदेही, सच्चिदानन्द त्रिएक पिता, महान कर्मयोगी, सिद्ध ब्रम्हचारी, अलौकिक सन्यासी, जगत का पाप वाही, यज्ञ पुरुष, अद्वैत तथा अनुपम प्रीति करने वाला। परमेश्वर के पवित्र वचन बाइबल के ‘नया नियम’ में देहधारी परमेश्वर की ये सभी तथा अन्य अनेक विशेषतायें प्रभू यीशू ख््राीष्ट के पतित-पावन व्यक्तित्व में सम्पूर्णता सहित उपस्थित तथा विस्तृत प्रमाणों द्वारा स्वयं सिद्ध है।
मोक्षः केवल यीशू ख््राीष्ट में:-
परमेश्वर का पवित्र वचन प्रभु खीष्ट द्वारा प्रदत्त मोक्ष के विषय में इस प्रकार कहता है, ‘‘पूर्वयुग में परमेश्वर ने बाप दादो से थोड़ा-थोड़ा करके और भांति-भांति से भविष्यद्वकताओं द्वारा बातें करके इन दिनों के अन्त में हमसे पुत्र (त्रिएक परमेश्वर का देहधारी स्वरुप प्रभु ख््राीष्ट)के द्वारा बातें कीं, जिसे उसने (परमेश्वर ) ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि रची है। वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है...‘‘मार्ग और सच्चाई और जीवन मै ही हूं बिना मेरे द्वारा कोई पिता (परमेश्वर )के पास अर्थात स्वर्ग में नही पहुंच सकता।’’....‘‘अब जो खीष्ट यीशु मे है, उन पर दण्ड की (पाप से उत्पन्न मृत्यू की ) आज्ञा नही है।’’...‘‘क्योंकि पाप की मजदूरी मृत्यू है परन्तू परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभू खीष्ट यीशु में अनन्त जीवन है।’’ इब्रानियो 1:1-3, यहुन्ना 14:6, रोमियो 8:1, 6:23 )।
आपका निर्णय क्या है ?
प्रिय मित्र! क्या आप मोक्ष मार्ग के राही हैं ? क्या आपका प्राण सदा से जीविते परमेश्वर का प्यासा रहा है ? केवल प्रभू खीष्ट में आपके पापों से मुक्ती तथा परम शांति है। देहधारी परमेश्वर आपको इसी क्षण बुला रहा है; ‘‘ हे पृथ्वी के दूर-दूर के देश के रहने वालो, तुम मेरी ओर फिरो और उद्धार मोक्ष पाओ! क्योंकि मै ही ईश्वर हंू और दूसरा कोई और नही है।.... जो कोई उस प्रभू यीषु खीष्ट पर विश्वास करे, वह नाश न होगा, परन्तु अनन्त जीवन पायेगा’’ यशायाह 45:22 तथा यहुन्ना 3:16।
मुक्ती कहीं और नही -केवल प्रभू खीष्ट में है। मुक्ती पाने के लिये आप कमरे में जांयें घुटने टेक कर यीषु मसीह से प्रार्थना करें ह्रदय की गहराइयों से पुकार कर कहें कि यीशु मेरे पापों को क्षमा कर आज से मै तुझे अपना जीवन समर्पित करता हूं आप आज से मेरे प्रभू और उद्धारकर्ता हैं। आज से मै आपके बताये रास्ते पर चलूंगां आप मुझे अपना दर्शन दें मै आपको देखना चाहता हूं। यीशु मसीह को पाना बहुत सरल है यीशु आपके पास आयेंगें आपको गले से लगा लेंगें। तब आपको एक बिलकुल नया अनुभव होगा आपको एसी अलौकिक शांति मिलेगी जिसका अनुभव बता पाना कठिन है उसको वर्णन नही कर सकते हैं। और आपकी सारी बिमारियां भाग जायेंगीं। सारी शैतानी शक्ती आपसे दूर चली जायेंगी। आप नये जन्मे बच्चे सा अनुभव करेंगें। अभी तक आपने पढ़ा या सुना होगा या किसी ने अपने ढ़ग से बताया होगा जो कि मात्र कपोल कल्पना है । मगर यीशू मसीह को आप जानने के लिये ऊपर बताये गये नियम के द्वारा प्रेक्टिकल कर सकते है। और अनन्त जीवन जो कि इसी मनुष्य योनि मे है प्राप्त कर सकते है। ‘‘मानुशं लोकं मुक्तीद्वारम्‘‘ अर्थात यही मनुष्य योनी हमारे मोक्ष का द्वार है।
हमारी प्रार्थना है कि परमेश्वर आपको इस विश्वास में स्थिर और सिद्ध करे।
अश्रद्धा परम पापं श्रद्धा पापमोचिनी महाभारत शांतिपर्व 264:15-19 अर्थात ‘अविश्वासी होना महापाप है, लेकिन विश्वास पापों को मिटा देता है।’
http://www.youtube.com/results?search_query=pandit+dharm+prakesh+sharma&aq=f
पंडित धर्म प्रकाश शर्मा
गनाहेड़ा रोड, पो. पुष्कर तीर्थ
राजस्थान-305 022
अधिक जानकारी के लिये लिखें:- स्पीड-द-गुड न्यूज क्रूसेड
3387,क्रिश्चियन कालोनी
करोल बाग, नई दिल्ली-110005
tongue
देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचंड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती हैः देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
जीभ भी एक आग हैः जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुंड की आग से जलती रहती है।
क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगनेवाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
हे मेरे भाइयों, ऐसा नही होना चाहिए।
क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।।
यीशू का व्दितिय आगमन
और सब जातियां उसके साम्हने इकठ्ठी की जाएंगी और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा।
और वह भेड़ों को अपनी दहिनी ओर और बकरियों को बाई और खड़ी करेगा।
तब राजा अपनी दहिनी ओर वालों से कहेगा हे मेरे पिता के धन्य लोगों आओ उस राज्य के अधिकारी हो जाओ जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।
कयोंकि मैं भूखा था और तुम ने मुझे खाने को दिया मैं पियासा था और तुम ने मुझे पानी पिलाया मैं परदेशी था तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया।
मैं नंगा था तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए मैं बीमार था तुम ने मेरी सुधि ली मैं बन्दीगृह में था तुम मुझ से मिलने आए।
तब धर्मी उस को उत्तर देंगे कि हे प्रभु हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया या पियासा देखा और पिलाया
हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा और कपड़े पहिनाए
हम ने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए
तब राजा उन्हें उत्तर देगा मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया वह मेरे ही साथ किया।
word of god
पहिनने पड़ते हैं।
कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय हाय? कौन झगड़े रगड़े में फंसता है? कौन बक बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आंखें लाल हो जाती हैं?
उनकी जो दाखमधु देर तक पीते हैं, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु ढूंढ़ने को जाते हैं।
जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उंडेला जाता है, तब उसको न देखना।
क्योंकि अन्त में वह सर्प की नाई डसता है, और करैत के समान काटता है।
तू विचित्रा वस्तुएं देखेगा, और उल्टी-सीधी बातें बकता रहेगा।
और तू समुद्र के बीच लेटनेवाले वा मस्तूल के सिरे पर सोनेवाले के समान रहेगा।
तू कहेगा कि मैं ने मार तो खाई, परन्तु दुःखित न हुआ; मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी। मैं होश में कब आउं? मैं तो फिर मदिरा ढूंढूंगा।।
Wednesday, August 18, 2010
The way of holiness
There is a path which no fowl knoweth, and which the vulture's eye hath not seen:
The lion's whelps have not trodden it, nor the fierce lion passed by it.
Isaiah 35:8,9
And an highway shall be there, and a way, and it shall be called The way of holiness; the unclean shall not pass over it; but it shall be for those: the wayfaring men, though fools, shall not err therein.
No lion shall be there, nor any ravenous beast shall go up thereon, it shall not be found there; but the redeemed shall walk there:
one piece was rained upon, and the piece whereupon it rained not withered.
और जब कटनी के तीन महीने रह गए तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया एक खेत में जल बरसा और दूसरा खेत जिस में न बरसा वह सूख गया।
इसलिये दो तीन नगरों के लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए परन्तु तृप्त न हुए तौभी तुम मेरी ओर न फिरे यहोवा की यही वाणी है।।
Amos 4:7,8
Saturday, August 14, 2010
but if thou wilt enter into life, keep the commandments.
उस ने उस से कहा तू मुझसे से भलाई के विषय में क्यों पूछता है भला तो एक ही है पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है तो आज्ञाओं को माना कर।
उस ने उस से कहा कौन सी आज्ञाएं यीशु ने कहा यह कि हत्या न करना व्यभिचार न करना चोरी न करना झूठी गवाही न देना।
अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।
JESUS SAID
और वह अपना मुंह खोलकर उन्हें यह उपदेश देने लगा
धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।
धन्य हैं वे जो शोक करते हैं क्योंकि वे शांति पाएंगे।
धन्य हैं वे जो नम्र हैं क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे है् क्यो्कि वे तृप्त किये जायेगें।
धन्य हैं वे जो दयावन्त हैं क्योंकि उन पर दया की जाएगी।
धन्य हैं वे जिन के मन शुद्ध हैं क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
धन्य हैं वे जो मेल करवानेवाले हैं क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
धन्य हैं वे जो धर्म के कारण सताए जाते हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।
धन्य हो तुम जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें और सताऐं और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्हों ने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।।
तुम पृथ्वी के नमक हो परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा फिर वह किसी काम का नहीं केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए।
तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता।
और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है।
उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में हैं बड़ाई करें।।
यह न समझो कि मैं व्यवस्था या भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूं।लोप करने नहीं परन्तु पूरा करने आया हूं क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।
इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े और वैसा ही लोगों को सिखाए वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा।
क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यदि तुम्हारी धार्मिकता शास्त्रियों और फरीसियों की धार्मिकता से ब-सजय़ बढ़ कर न हो तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे।।
तुम सुन चुके हो कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि हत्या न करना और जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दंड के योग्य होगा।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगाः और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दंड के योग्य होगा और जो कोई कहे अरे मूर्ख वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा।
इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए और वहां तू स्मरण करे कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध है तो अपनी भेंट वहीं वेदी के साम्हने छोड़ दे।और जाकर पहिले अपने भाई से मेल मिलाप कर तब आकर अपनी भेंट चढ़ा।
जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग में हैं उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए। मैं तुम से सच कहता हूं कि जब तक तू कौड़ी कौड़ी भर न दे तब तक वहां से छूटने न पाएगा।।
तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, कि व्यभिचार न करना।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।
यह भी कहा गया था कि जो कोई अपनी पत्नी को त्याग दे तो उसे त्यागपत्र दे।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि जो कोई अपनी पत्नी को व्यभिचार के सिवा किसी और कारण से छोड़ दे तो वह उस से व्यभिचार करवाता है और जो कोई उस त्यागी हुई से ब्याह करे वह व्यभिचार करता है।।
फिर तुम सुन चुके हो कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि झूठी शपथ न खाना परन्तु प्रभु के लिये अपनी शपथ को पूरी करना।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि कभी शपथ न खाना न तो स्वर्ग की क्योंकि वह परमेश्वर का सिंहासन है।
न धरती की क्योंकि वह उसके पांवों की चौकी है न यरूशलेम की क्योंकि वह महाराजा का नगर है।
अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला न काला कर सकता है।
परन्तु तुम्हारी बात हां की हां या नहीं की नहीं हो क्योंकि जो कुछ इस से अधिक होता है वह बुराई से होता है।।
तुम सुन चुके हो कि कहा गया था कि आंख के बदले आंख, और दांत के बदले दांत।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि बुरे का सामना न करना परन्तु जो कोई तेरे दहिने गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे।
और यदि कोई तुझ पर नालिश करके तेरा कुरता लेना चाहे तो उसे दोहर भी ले लेने दे।
और जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए तो उसके साथ दो कोस चला जा।
जो कोई तुझसे से मांगे उसे दे और जो तुझसे से उधार लेना चाहे उस से मुंह न मोड़।।
तुम सुन चुके हो कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना और अपने बैरी से बैर।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिये प्रार्थना करो।
जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनो पर अपना सूर्य उदय करता है और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।
क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों ही से प्रेम रखो तो तुम्हारे लिये क्या लाभ होगा क्या महसूल लेनेवाले भी ऐसा ही नहीं करते
और यदि तुम केवल अपने भाइयों ही को नमस्कार करो तो कौन सा बड़ा काम करते हो क्या अन्यजाति भी ऐसा नहीं करते
इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है।।
the kingdom of heaven
उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि
स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिस ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया।पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूं के बीच जंगली बीज बोकर चला गया।जब अंकुर निकले और बालें लगी तो जंगली दाने भी दिखाई दिए।इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उस से कहा हे स्वामी क्या तू ने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था फिर जंगली दाने के पौधे उस में कहां से आए उस ने उन से कहा यह किसी बैरी का काम है। दासों ने उस से कहा क्या तेरी इच्छा है कि हम जाकर उन को बटोर लें उस ने कहा ऐसा नहीं न हो कि जंगती दाने के पौधे बटोरते हुए उन के साथ गेहूं भी उखाड़ लो।कटनी तक दोनों को एक साथ ब-सजय़ने दो और कटनी के समय मैं काटनेवालों से कहूंगा पहिले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उन के गठ्ठे बान्ध लो और गेहूं को मेरे खत्ते में इकठ्ठा करो।।
उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया।वह सब बीजों से छोटा तो है पर जब ब-सजय़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है और ऐसा पेड़ हो जाता है कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं।।
उस ने एक और दृष्टान्त उन्हें सुनाया कि स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है जिस को किसी स्त्री ने लेकर तीन पसेरी आटे में मिला दिया और होते होते वह सब खमीर हो गया।।ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं और बिना दृष्टान्त वह उन से कुछ न कहता था।कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हो कि मैं दृष्टान्त कहने को अपना मुंह खोलूंगाः मैं उन बातों को जो जगत की उत्पत्ति से गुप्त रही हैं प्रगट करूंगा।।तब वह भीड़ को छोड़कर घर में आया और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा खेत के जंगली दाने का दृष्टान्त हमें सम-हजया दे।उस ने उन को उत्तर दिया कि अच्छे बीज का बोनेवाला मनुष्य का पुत्र है।खेत संसार है अच्छा बीज राज्य के सन्तान और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं।जिस बैरी ने उन को बोया वह शैतान है कटनी जगत का अन्त हैः और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं।सो जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा।मनुष्य का पुत्रा अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकठ्ठा करेंगे।और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे वहां रोना और दांत पीसना होगा।उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाई चमकेंगे जिस के कान हों वह सुन ले।।
स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है जिसे किसी मनुष्य ने पाकर छिपा दिया और मारे आनन्द के जाकर और अपना सब कुछ बेचकर उस खेत को मोल लिया।।
फिर स्वर्ग का राज्य एक व्योपारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था।जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उस ने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।।
फिर स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है जो समुद्र में डाला गया और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया।
और जब भर गया तो उस को किनारे पर खींच लाए और बैठकर अच्छी अच्छी तो बरतनों में इकठ्ठा किया और निकम्मी निकम्मीं फेंक दी।जगत के अन्त में ऐसा ही होगाः स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे।
वहां रोना और दांत पीसना होगा।
JESUS SAID
भला मनुष्य मन के भले भंडार से भली बातें निकालता है और बुरा मनुष्य बुरे भंडार से बुरी बातें निकालता है।
और मै तुम से कहता हूं कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे।
क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।।
And he said, That which cometh out of the man, that defileth the man.
Mark 7:16to23
I came not to call the righteous, but sinners to repentance.
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Sunday, August 8, 2010
Proverbs
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winebibbers
Saturday, August 7, 2010
word of god: word of god
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4 izse /khjtoUr gS] vkSj d`iky gS( izse Mkg ugha djrk( izse viuh cM+kbZ ugha djrk] vkSj Qwyrk ughaA
5 og vujhfr ugha pyrk] og viuh HkykbZ ugha pkgrk] >qa>ykrk ugha] cqjk ugha ekurkA
6 dqdeZ ls vkufUnr ugha gksrk] ijUrq lR; ls vkufUnr gksrk gSA
7 og lc ckrsa lg ysrk gS] lc ckrksa dh izrhfr djrk gS] lc ckrksa dh vk'kk j[krk gS] lc ckrksa esa /khjt /kjrk gSA
8 izse dHkh Vyrk ugha( Hkfo";}kf.k;ka gksa] rks lekIr gks tk,axh] Hkk"kk,a gks rks tkrh jgsaxh( Kku gks] rks feV tk,xkA
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